नमस्कार दोस्तों। कैसे हो आप लोग? आशा करता हूँ कि आप सब अच्छे ही होंगे।आज के इस पोस्ट में।हम जानने वाले है कि श्रृंगार रस क्या है ? शृंगार रस का उदाहरण और श्रंगार रस की परिभाषा क्या है ? और आज के इस पोस्ट में।हम श्रंगार रस के लक्षण के बारे में भी जानेगे।
श्रृंगार रस की परिभाषा क्या है ?
प्रेमी और प्रेमिका के मन में स्थित स्थायी भाव रति या प्रेम से उत्पन्न आनंद को ही श्रंगार रस कहा जाता है।
शृंगार रस के अवयव क्या है ?
- स्थायी भाव - रति ( प्रेम ) |
- उद्दीपन विभाव - एकांत स्थान, कटाक्ष, चंद्रमा, वसंत ऋतु तथा आलंबन संबंधित अन्य चेष्टाएं।
- अनुभाव - संयोग श्रंगार में — अपलक देखना, मुस्कुराना, नेत्र से संकेत करना, आश्रय को प्रेम से देखना आदि |
वियोग श्रंगार में — अश्रु, प्रलाप , विवर्णता आदि | - संचारी भाव - संयोग श्रंगार में — हर्ष, लज्जा, औत्शुक्य आदि |
वियोग श्रंगार में — ग्लानि, निर्वेद, जड़ता आदि |
वियोग श्रंगार में — अश्रु, प्रलाप , विवर्णता आदि |
वियोग श्रंगार में — ग्लानि, निर्वेद, जड़ता आदि |
श्रंगार रस के कितने प्रकार होते हैं ?
- संयोग श्रृंगार रस
- वियोग अथवा विप्रलंभ श्रृंगार रस
संयोग श्रृंगार रस की परिभाषा —
संयोग्काल में नायक व नायिका की पारस्परिक रति या प्रेम से उत्पन्न आनंद को ' संयोग श्रृंगार ' कहा जाता है |
Example:- 1
Example:- 2
वियोग श्रृंगार रस की परिभाषा —
Example:- 1
Example:- 2
Conclusion—
तो हमने आज की इस पोस्ट में जाना है की श्रृंगार रस क्या होता है ? श्रृंगार रस की परिभाषा क्या है ?श्रृंगार रस के कितने भेद होते है ? के बारे में | इस प्रकार के Syllabus से Up Board के परीक्षाओ में बहुत ही अच्छे अंक दिलाने के प्रश्न आते है जो काफी छोटे और 4 अंक के होते है | अगर आपको यह पोस्ट पसंद आया हो तो दुसरे लोगो तक भी Share करके पहुंचा दे |