Sringar Ras Kya hai ? श्रृंगार रस क्या है ? श्रृंगार रस की परिभाषा व उदाहरण

नमस्कार दोस्तों। कैसे हो आप लोग? आशा करता हूँ कि आप सब अच्छे ही होंगे।आज के इस पोस्ट में।हम जानने वाले है कि श्रृंगार रस क्या है ? शृंगार रस का उदाहरण
Sringar Ras Kya hai

नमस्कार दोस्तों। कैसे हो आप लोग? आशा करता हूँ कि आप सब अच्छे ही होंगे।आज के इस पोस्ट में।हम जानने वाले है कि श्रृंगार रस क्या है ? शृंगार रस का उदाहरण और श्रंगार रस की परिभाषा क्या है ? और आज के इस पोस्ट में।हम श्रंगार रस के लक्षण के बारे में भी जानेगे।

श्रृंगार रस की परिभाषा क्या है ?

प्रेमी और प्रेमिका के मन में स्थित स्थायी भाव रति या प्रेम से उत्पन्न आनंद को ही श्रंगार रस कहा जाता है।

शृंगार रस के अवयव क्या है ?

  1. स्थायी भाव - रति ( प्रेम ) |
  2. उद्दीपन विभाव - एकांत स्थान, कटाक्ष, चंद्रमा, वसंत ऋतु तथा आलंबन संबंधित अन्य चेष्टाएं।
  3. अनुभाव - संयोग श्रंगार में — अपलक देखना, मुस्कुराना, नेत्र से संकेत करना, आश्रय को प्रेम से देखना आदि |
                     वियोग श्रंगार में — अश्रु, प्रलाप , विवर्णता आदि |
  4. संचारी भाव - संयोग श्रंगार में — हर्ष, लज्जा, औत्शुक्य आदि |
                           वियोग श्रंगार में — ग्लानि, निर्वेद, जड़ता आदि |

श्रंगार रस के कितने प्रकार होते हैं ?

श्रृंगार रस के प्रायः दो भेद होते है जो अग्रलिखित है -
  1. संयोग श्रृंगार रस
  2. वियोग अथवा विप्रलंभ श्रृंगार रस 

संयोग श्रृंगार रस की परिभाषा —

संयोग्काल में नायक व नायिका की पारस्परिक रति या प्रेम से उत्पन्न आनंद को ' संयोग श्रृंगार ' कहा जाता है |

Example:- 1

दूलह श्री रघुनाथ बने, दुलही सिय सुंदर मंदिर माहीं। 
गावति गीत सबै मिलि सुंदरि, वेद जुवा जुरि विप्र पढ़ाहीं॥ 
राम को रूप निहारति जानकी कंकन के नग की परछाहीं। 
यातेँ सबै सुधि भूलि गई, कर टेकि रही पल टारति नाहीं॥

Example:- 2 

लता ओट तब सखिन्ह लखाए। 
स्यामल गौर किसोर सुहाए॥ 
देखि रूप लोचन ललचाने। 
हरषे जनु निज निधि पहिचाने॥

वियोग श्रृंगार रस की परिभाषा 

जहाँ एक दुसरे से प्रेम करने वाले नायक व नायिका के वियोग अथवा विछुड़ने का वर्णन हो तो वहां पर ' वियोग श्रृंगार या विप्रलंभ श्रृंगार रस ' होता है |

Example:- 1

रे  मन  आज  परीक्षा  तेरी | 
सब अपने सौभाग्य मनावें | 
दरस परस नि: श्रेयस पावें | 
उद्वारक   चाहें   तो   आवें | 
यहीं      रहे      यह     चेरी |

Example:- 2 

हे खग-म्रग, हे मधुकर श्रेनी ! तुम देखी सीता म्रगनैनी |

Conclusion

तो हमने आज की इस पोस्ट में जाना है की श्रृंगार रस क्या होता है ? श्रृंगार रस की परिभाषा क्या है ?श्रृंगार रस के कितने भेद होते है ? के बारे में | इस प्रकार के Syllabus से Up Board के परीक्षाओ में बहुत ही अच्छे अंक दिलाने के प्रश्न आते है जो काफी छोटे और 4 अंक के होते है | अगर आपको यह पोस्ट पसंद आया हो तो दुसरे लोगो तक भी Share करके पहुंचा दे |

धन्यबाद  

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